

नक्सली प्रभावित क्षेत्र में पत्रकारिता आसान नहीं है। कभी नक्सली दुश्मन बन जाते हैं, कभी प्रशासन का मुंह फूल जाता है। जोखिम का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इस इलाके में करप्शन की रिपोर्टिंग जानलेवा हो जाती है। बीजापुर में मारे गए पत्रकार मुकेश चंद्राकर की मौत करप्शन के खिलाफ आवाज उठाने के कारण हुई है।