

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते गुरुवार को व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाक़ात की और दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई.
इस मुलाक़ात के दौरान भारत के प्रधानमंत्री की ओर से अमेरिका में बिना वैध दस्तावेजों के रहने वाले भारतीय नागरिकों को वापस लेने की बात कही गई.
दूसरी तरफ़ ट्रंप ने व्यापार घाटा कम करने, डिफ़ेंस, तेल और गैस की अमेरिका से ख़रीद और टैरिफ़ को लेकर बातें कहीं.
यह मुलाक़ात ऐसे समय हुई है जब अवैध प्रवासियों को वापस भेजने और नए टैरिफ़ लगाने को लेकर नए ट्रंप प्रशासन का रुख़ कड़ा है. इस नज़रिये से भी इस मुलाक़ात पर सबकी नज़रें थीं.
वॉशिंगटन पोस्ट

अमेरिका के प्रतिष्ठित अख़बार वॉशिंगटन पोस्ट ने अपने एक लेख में लिखा है कि दुनिया में टैरिफ़ को लेकर बढ़ी चिंता के बीच ट्रंप और मोदी की मुलाक़ात हुई है. ट्रंप इस मुलाक़ात में भारत के साथ व्यापार घाटे को कम करना चाहते हैं.
अख़बार लिखता है, “ट्रंप के कार्यभार ग्रहण करने के बाद यह चौथे शीर्ष नेता का अमेरिका दौरा है और यह इस बात का संकेत भी है कि ट्रंप नई दिल्ली के साथ अपने रिश्ते को आगे कैसे बढ़ाएंगे.”
अख़बार के अनुसार, “यह पार्टनरशिप वॉशिंगटन के हिंद-प्रशांत क्षेत्र की रणनीति के लिए बहुत अहम है लेकिन अवैध आप्रवासन, वीज़ा, भारत के साथ अमेरिका का बड़ा व्यापार घाटा और अमेरिकी ज़मनी पर सिख कार्यकर्ता की हत्या की कोशिश से जुड़े विवाद दोनों देशों के संबंधों में तनाव के प्रमुख बिंदु हैं.”
“साझे प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान ट्रंप ने वॉशिंगटन और दिल्ली की दोस्ती पर ज़ोर दिया हालांकि उससे ठीक एक दिन पहले ही उन्होंने रेसिप्रोकल टैरिफ़ लगाने की घोषणा की थी.”
अख़बार ने मोदी को पहला ऐसा विदेशी नेता बताया जिन्होंने ट्रंप के साथ व्यक्तिगत रिश्ते को बढ़ावा देने की बात की और लिखा, “भारतीय नेता ने मेक अमेरिका ग्रेट अगेन (मागा) से प्रेरणा लेते हुए मेक इंडिया ग्रेट अगेन (मीगा) का नारा दिया.”
अख़बार के अनुसार, अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और भारत का 18 प्रतिशत से अधिक निर्यात उसी को होता है. भारत, अमेरिका से जितना ख़रीदता है उससे 45 अरब डॉलर अधिक निर्यात करता है. ट्रंप इस अंतर को कम करना चाहते हैं.
अख़बार ने लिखा है कि ग़ैरबराबरी वाले टैरिफ़ और पिछले कार्यकाल में कोई व्यापारिक समझौता करने में असफल रहे ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार में यहां तक कहा कि भारत टैरिफ़ का ‘सबसे बड़ा दुरुपयोग करने वाला देश’ है.
अख़बार के अनुसार, भारत अमेरिका को डिफ़ेंस, तेल गैस और टेक्नोलॉजी समेत कई क्षेत्रों में छूट देने पर राज़ी है और यह ट्रंप प्रशासन के लिए एक जीत की तरह होगी लेकिन एक दिन पहले ही फ़्रांस के साथ मोदी ने टेक्नोलॉजी पर जो समझौता किया, उससे पता चलता है कि इस क्षेत्र में सिर्फ अमेरिका ही अकेला नहीं है.
हालांकि एक विश्लेषक के हवाले से अख़बार ने लिखा कि ट्रंप ने एफ़35 फ़ाइटर जेट को लेकर जो बयान दिया, वह उनकी ओर से भरोसे का प्रदर्शन है.
न्यूयॉर्क टाइम्स

अमेरिका के एक और प्रतिष्ठित अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा कि भारत के प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक रूप से ट्रंप को संतुष्ट करने की कोशिश की जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत पर भारी टैरिफ़ का दबाव डाला.
अख़बार ने लिखा कि मोदी ने इस दौरे में विवादित मुद्दों को हावी न होने देने की पूरी कोशिश की.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक लेख में लिखा कि कुछ घंटे पहले रेसिप्रोकल टैरिफ़ लगाने की घोषणा करने वाले ट्रंप ने मोदी से मुलाक़ात की और दोनों नेताओं ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में एकजुटता दिखाई.
अख़बार के अनुसार, भारतीय प्रधानमंत्री ने अपना अधिकांश वक्तव्य अनुवादक के सहारे दिया. मुलाक़ात के दौरान व्हाइट हाउस में ट्रंप के टैरिफ़ बढ़ाने की बात फिज़ा में होते हुए भी, बाकी नेताओं की तरह ही उन्होंने ट्रंप की मांगों को मानने की कोशिश की.
अख़बार ने ट्रंप के चुनावी अभियान के समय से उनके दायें हाथ बने रहे एलन मस्क से मोदी की मुलाक़ात के बारे में लिखा है, “दोनों ने तस्वीरें भी खिंचाईं. मस्क दुनिया के सबसे अमीर शख़्स हैं और हाईस्पीड इंटरनेट सर्विस देने वाली कंपनी स्टारलिंक समेत कई कंपनियों के मालिक हैं. स्टारलिंक ने भारत में प्रवेश की मंज़ूरी के लिए आवेदन दे रखा है.”
अख़बार ने लिखा है, “दोनों देशों के बीच व्यापार और आप्रवासन को लेकर हाल ही में ट्रंप के कार्यकारी आदेशों को लेकर जो तनाव था, वह दोस्ती के ऊपरी दिखावे की वजह से छिप गया. ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान यह कह कर इस तनाव को और हवा दी कि भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा 100 अरब डॉलर है जबकि यह बढ़ाचढ़ा कर बताया गया आंकड़ा था, 2024 का असल आंकड़ा 50 अरब डॉलर के क़रीब है.”
ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि वो अपने पहले कार्यकाल में भारत से टैरिफ़ कराने में क़ामयाब नहीं हो पाए, लेकिन अब, “हम कहने जा रहे हैं कि आप जितना शुल्क लगाएंगे, हम भी उतना ही लगाएंगे.”
अख़बार के अनुसार, भारतीय पीएम ने 2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार को 500 अरब डॉलर तक ले जाने की बात कही और इसके लिए जल्द ही दोनों देशों के बीच व्यापारिक समझौते का भी संकेत दिया.
अख़बार ने लिखा, “अवैध प्रवासियों को सैन्य विमान से भारत भेजने के मुद्दे ने भारत में काफ़ी आक्रोष पैदा किया था. जब इस मुद्दे पर प्रेस कान्फ़्रेंस में मोदी से पूछा गया तो उन्होंने इसका जवाब देने की बजाय कहा कि कोई भी किसी देश में अवैध रूप से घुसता है तो उसे उस देश में रहने का अधिकार नहीं है.”
ट्रंप से मुलाक़ात से पहले मोदी एलन मस्क और उनके बच्चों से भी मिले और एक्स पर तस्वीरें पोस्ट कीं, जो ट्रंप प्रशासन में मस्क की ताक़त को दिखाता है.
अख़बार ने लिखा है, पीएम मोदी के सामने जहां एलन मस्क बैठे थे वहां अमेरिकी झंडा और भारतीय झंडा था, जोकि आम तौर पर देश के मुखिया का आभास देता है.
सीएनएन

अमेरिका के एक प्रमुख समाचार टीवी चैनल सीएनएन ने भारतीय प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच मुलाक़ात को तो जगह दी ही है, उसने पीएम मोदी और ट्रंप के क़रीबी अमेरिकी अरबपति एलन मस्क से मुलाक़ात को भी अपने कार्यक्रम में जगह दी है.
एंकर एरिन बर्नेट ने एक कार्यक्रम में कहा, “जब राष्ट्रपति ट्रंप से पूछा गया कि क्या वह जानते हैं कि एलन मस्क, भारतीय प्रधानमंत्री मोदी से एक प्राइवेट कंपनी के सीईओ की हैसियत से मिले थे या ट्रंप प्रशासन द्वारा बनाए गए डिपार्टमेंट ऑफ़ गवर्नमेंट एफ़िशिएंसी के प्रमुख के तौर पर अमेरिकी सरकार के प्रतिनिधि की तरह? तो ट्रंप ने कहा उन्हें नहीं पता.”
असल में जब ट्रंप से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि “मुझे नहीं पता, वे मिले थे. मुझे लगता है कि वह भारत में बिज़नेस करना चाहते हैं, क्योंकि वह एक कंपनी चलाते हैं.”
एंकर एरिन बर्नेट ने अनुमान लगाया कि एलन मस्क भारत में टेस्ला की फ़ैक्ट्री लगाना चाहते हैं और वहां मंज़ूरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, हो सकता है इसलिए मिले हों. ऐसी भी ख़बरें हैं कि मस्क की स्पेस एक्स कंपनी भारतीय अंतरिक्ष शोध संगठन से हाथ मिलना चाहती है.
बर्नेट ने पूछा, ‘एलन मस्क इस समय अमेरिकी सरकार के दाएं हाथ की तरह हैं और उनके साथ मुलाक़ात मायने रखती है. क्या वो अपने कारोबारी साम्राज्य को फैलाने के लिए सरकार में अपनी हैसियत का फ़ायदा उठा रहे हैं और यह हितों का टकराव नहीं है?’
इस चर्चा में शामिल डेमोक्रेटिक रणनीतिकार पॉल बगाला ने कहा कि मस्क सिर्फ सीईओ नहीं है बल्कि वह एक विशेष सरकारी कर्मचारी भी हैं, (डीओजीई के प्रमुख के तौर पर). इसलिए उन्हें अपने निजी वित्तीय लाभ को आगे बढ़ाने की इजाज़त नहीं है. हमें नहीं पता कि उनके बीच (पीएम मोदी के साथ) क्या बात हुई. लेकिन इस मीटिंग के नोट्स सार्वजनिक किए जाने चाहिए.
डेमोक्रेटिक रणनीतिकार ने कहा, “यह सरकार अरबपतियों की है, अरबपतियों द्वारा है और अरबपतियों के लिए है.”
हालांकि इसी कार्यक्रम में मौजूद रिपब्लिकन रणनीतिकार शेरमाइकल सिंगल्टन ने ओवल ऑफ़िस में मोदी से एलन मस्क की मुलाक़ात का बचाव करते हुए कहा, “वह सबसे इनोवेटिव शख़्स हैं. वह अमेरिकी हैं और भारत में बिज़नेस करना चाहते हैं और बिज़नेस के संदर्भ में वह ओवल ऑफ़िस में मिलते हैं तो इसमें हर्ज़ क्या है.”
एनवाई पोस्ट

एनवाई पोस्ट ने अपने एक लेख में भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग की ख़बर को तरजीह देते हुए हुए लिखा है, ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री दोनों देशों के बीच रक्षा पार्टनरशिप को बढ़ाना चाहते हैं, जिसमें स्टील्थ फ़ाइटर जेट एफ़-35 की बिक्री भी शामिल है.
पीएम मोदी और ट्रंप की मुलाक़ात में दोनों देशों के बीच अगले एक दशक के लिए बड़ी रक्षा हिस्सेदारी का फ्रेमवर्क बनाने की बात कही गई थी.
एनवाई पोस्ट के अनुसार, “ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ़ लगाने की घोषणा से जापान, भारत और यूरोपीय संघ में बेचैनी है. ट्रंप ने कहा कि व्यापार घाटा कम करके अमेरिका हर साल एक ट्रिलियन डॉलर तक बचा सकता है.”
पीएम मोदी से मुलाक़ात से पहले ही ट्रंप ने कहा था कि वह मोदी से अमेरिकी सामानों पर टैरिफ़ घटाने की बात करेंगे. इससे कुछ दिन पहले ही उन्होंने स्टील और एल्यूमीनियम पर 25% टैरिफ़ की घोषणा की थी.