
मुंबई की मीठी नदी, जो शहर की बाढ़ नियंत्रण प्रणाली का अभिन्न हिस्सा है, एक बार फिर घोटाले की भेंट चढ़ गई। एक चौंकाने वाले खुलासे में पता चला कि बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) के एक वरिष्ठ अधिकारी को एक ठेकेदार ने विदेश यात्रा और अन्य सुविधाओं के लिए 65 करोड़ रुपये का लालच दिया। यह घोटाला तब सामने आया, जब एक स्वतंत्र ऑडिट में परियोजना के फंड में भारी अनियमितताएँ पाई गईं।
मीठी नदी, जो कभी मुंबई की जीवनरेखा थी, आज प्रदूषण, अतिक्रमण और सरकारी उदासीनता का शिकार है। हर मानसून में नदी के आसपास के इलाके जलमग्न हो जाते हैं, लेकिन सफाई के नाम पर अरबों रुपये खर्च होने के बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ। स्थानीय निवासियों में गुस्सा है। कुर्ला के रहने वाले रमेश पाटिल कहते हैं, “हर साल वादे, लेकिन नतीजा सिफर। यह जनता के साथ धोखा है।”
पुलिस ने जाँच शुरू कर दी है, और BMC ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का दावा किया है। लेकिन क्या यह कार्रवाई केवल दिखावा है, या वाकई में बदलाव आएगा? मुंबईवासियों को अब पारदर्शिता और जवाबदेही की उम्मीद है, जो उनकी सुरक्षा और भविष्य के लिए जरूरी है।